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तेरा साथ
तेरा साथ
यु तो हर कोई बेगाना लगता है,
पर न जाने क्यों तेरा साथ सुहाना लगता है,
ये मौसम की आहट ये साहिल का चलना पहले भी होता था,
पर न जाने अब क्यों ये भवरो का गुनगुनाना लगता है,
पहले भी होती थी ये छोटी-छोटी तकरारे,
अब ये तुम्हारा रूठना मानना लगता है,
यु तो कई बार मिलती थी आँखों से आँखे,
अब क्यों ये देखने का बहाना लगता है,
मन मेरा अब मेरा कोई बात सुनता नहीं,
अब तो ये भी तुम्हारा दीवाना लगता है,
जब तुम सामने से आती हो,अपनी पलके ज़ुकती हो,
सब कुछ थम सा जाता है,सिर्फ में होता हू और तुम होती हो,
और सब कुछ अफसाना लगता है,
ऐसा पहले तो न होता था मेरे साथ,
ये तो बस प्यार का तराना लगता है,
यु तो हर कोई बेगाना लगता है,
पर न जाने क्यों तेरा साथ सुहाना लगता है,
-निकुंज ठक्कर