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आगाज़
आगाज़
नयी उम्मीदे नए सपनो का साज़ है,
आने वाली खुसियो का आगाज़ है,
बीते हुए कल और बिखरे हुए सपनो से अब हमें निस्बत नहीं,
देखो इन फिजाओ को,सुनहरे कल का ये आगाज़ है,
वो पुरानी यादे,दोस्तों के संग गुज़ारे हसी लम्हे,
कानो में गूंजते अपनों के अल्फाज़ है,
रोकने की हर कोशिश रहेगी नाकाम,
यु न समजना कल थे जो वही हम आज है,
अंदाज़ बदला है,सबकुछ नया है,
शिर पर हमारे खुदा का हाथ है,
न रुकेंगे हम न ज़ुकेंगे हम,
सब के दिल से निकली एक ही आवाज़ है,
आओ सब मिलकर गाये,
सुनहरे कल का ये आगाज़ है, सुनहरे कल का ये आगाज़ है
-निकुंज ठक्कर