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है जो बात आँखों में

है जो बात आँखों में


है जो बात आँखों में उसे होंठो तक आने दो,

इन हवाओ को वही प्यार का मौसम लाने दो,

इश्क दरिया है तो दरिया ही सही,

मुझे तैरना नहीं आता बस डूब जाने दो,

उलझनों सी लगने लगी है अब तो ये जिंदगी,

आखरी साँस तक बस इसे सुलझाने दो,

है प्यासी ये ज़मीं सालो से,

आज आसमां को जी भर के प्यार बरसाने दो,

मत रोको 'आलम' मुझे इस सफर में,

मुसाफिर हू मंज़िलों में खो जाने दो,

कोशिश की है सिद्दत से मैंने उसे पाने की,

गर आते है तूफ़ान तो आने दो,

खुशी मिलती हे उन्हें हमारा आशियाना जलने से,

हाथो से उन्हें अपने ही आग लगाने दो.


- निकुंज ठक्कर